Tuesday 25 February 2014

गोरक्षपंचाक्षर जाप


गोरषनाथ लिंवस्वरूपं गउ गो प्रतिपालनं | अगोचरं गहर गभीरं गकाराइ न्मो न्मो || १ || रहतंच निरालंबं अस्थंभं भवनं त्रियं | राष राष श्रव भूतानं रकाराइ न्मो न्मो || २ || षकार इकयिस व्रह्मांडं षेचरं जगद गुरुं | षेत्रपालं षडग वंसे षकाराइ न्मो न्मो || ३ || नाना सास समो दाइ नाना रूप प्रकासितं | नाद विंद समो जोति नकाराइ न्मो न्मो || ४ || थापितं थल संसारं अलेषं अपारं अगोचरं | थावरे जंगमे सचिवं थकाराइ न्मो न्मो || ५ || गकारं ग्यान संयुक्तं रकारं रूप लाछ्नं | षकारं इकीस व्रह्मंडं नकारं नादि विंदए || ६ || थाकारं थानमानयो थिर थापन थर्पनं | गोरषनाथ अक्षरं मंत्रं श्रवाधाराइ न्मो न्मो || ७ || ॐ गों गोराक्षनाथाय विद्महे शून्यपुत्राय धीमहि तन्नो गोरक्ष निरंजनः प्रचोदयात् | आदेश आदेश शिवगोरक्ष || गोरक्षवालं गुरु शिष्यपालं शेषाहिमालं शशिखण्ड भालम | कालस्यकालं जितजन्मजालं वन्दे जटालं जगदब्ज नालं ||

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