Tuesday 25 February 2014

श्रीबाला जाप बीजमंत्र

ॐ नमो आदेश गुरूजी कौं, आदेश ॐ गुरूजी - ॐ सोहं ऐं क्लीं श्री सुन्दरी बाला काहे हात पुस्तक काहे हात माला | बायें हात पुस्तक दायें हात माला जपो तपो श्रीसुन्दरी बाला | जिवपिण्डका तूं रखवाला हंस मंत्र कुलकुण्डली बाला | बाला जपे सो बाला होय बूढा जपे सो बाला होय || घट पिण्डका रखवाला श्रीशंभु जति गुरु गोरख बाला | उलटंत वाला पलटंत काया सिद्धोंका मारग साधकोंने पाया || ॐ गुरूजी, ॐ कौन जपंते सोहं कौन जपंते ऐं कौन जपंते | क्लीं कौन जपंते श्रीसुन्दरी कौन जपंते बाला कौन जपंते || ॐ गुरूजी, ॐ जपंते भूचरनाथ अलख अगौचर अचिंत्यनाथ | सोहं जपंते गुरु आदिनाथ ध्यान रूप पठन्ते पाठ || ऐ जपंते व्रह्माचार वेद रूप जग सरजन हार | क्लीं जपंते विष्णु देवता तेज रूप राजासन तपता || श्रीसुन्दरी पारवती जपन्ती धरती रूप भण्डार भरन्ती | बाला जपंते गोरख बाला ज्योति रूप घट घट रखवाला || जो वालेका जाने भेव आपहि करता आपहि देव | एक मनो कर जपो जाप अन्तवेले नहि माई बाप || गुरु सँभालो आपो आप विगसे ज्ञान नसे सन्ताप | जहां जोत तहाँ गुरुका ज्ञान गतगंगा मिल धरिये ध्यान || घट पिण्डका रखवाला श्रीशंभु जति गुरु गोरख बाला | जहां बाला तहां धर्मशाला सोनेकी कूची रुपेका ताला || जिन सिर ऊपर सहंसर तपई घटका भया प्रकाश | निगुरा जन सुगुरा भया कटे कोटि अघ राश || सुचेत सैन सत गुरु लखाया पडे न पिण्ड विनसे न काया | सैन शब्द गुरु कन्हें सुनाया अचेत चेतन सचेत आया || ध्यान स्वरूप खोलिया ताला पिण्ड व्रह्माण्ड भया उजियाला | गुरु मंत्र जाप संपूरण भया सुण पारवती माहदेव कह्ना || नाथ निरंजन नीराकार बीजमंत्र पाया तत सार | गगन मण्डल में जय जय जपे कोटि देवता निज सिर तपे || त्रिकुटि महल में चमका होत एकोंकार नाथ की जोत | दशवें द्वार भया प्रकाश बीजमंत्र, निरंजन जोगी के पास || ॐ सों सिद्धोंकी माया सत गुरु सैन अगम गति पाया | बीज मंत्र की शीतल छाया भरे पिण्ड न विनसे काया || जो जन धरे बाला का ध्यान उसकी मुस्किल ह्नोय आसान | ॐ सोहं एकोंकार जपो जाप भव जल उतरो पार || व्रह्मा विष्णु धरंते ध्यान बाला बीजमंत्र तत जान | काशी क्षेत्र धर्म का धाम जहां फूक्या सत गुरने कान || ॐ बाला सोहं बाला किस पर बैठ किया प्रति पाला | ऋद्ध ले आवै सुण्ढ सुण्ढाला हित ले आवै हनुमत बाला || जोग ले आवे गोरख बाला जत ले आवे लछमन बाला | अगन ले आवे सूरज बाला अमृत ले आवे चन्द्रमा बाला || बाला वाले का धर ध्यान असंख जग की करणी जान | मंगला माई जोत जगाई त्रिकुटि महल में सुरती पाई || शिव शक्ति मिल वैठे पास बाला सुन्दरी जोत प्रकाश | शिव कैलास पर थापना थापी व्रह्मा विष्णु भरै जन साखी || बाला आया आपहि आप तिसवालेका माइ न बाप | बाला जपो सुन्न महा सुन्न बाला जपो पुन्न महा पुन्न || बाला जपो जोग कर जुक्ति बाला जपो मोक्ष महा मुक्ति | बाला बीज मंत्र अपार बाला अजपा एकोंकार || जो जन करे बाला की सेव ताकौं सूझे त्रिभुवन देव | जो जन करे बाला की भ्राँत ताको चढे दैत्यके दाँत || भरम पडा सो भार उठावै जहाँ जावै तहाँ ठौर न पावै | धूप दीप ले जोत जगाई तहाँ वैठी श्री त्रिपुरा माई || ऋद्ध सिद्ध ले चौक पुराया सुगुरा जन मिल दर्शन पाया | सेवक जपै मुक्ति कर पावै बीज मंत्र गुरु ज्ञान सुहावै || ॐ सोहं सोधन काया गुरु मंत्र गुरु देव बताया | सव सिद्धनके मुखसे आया सिद्ध वचन निरंजन ध्याया || ओवं कारमें सकल पसारा अक्षय जोगि जगतसे न्यारा | श्री सत गुरु गुरुमंतर दीजै अपना जन अपना कर लीजै || जो गुरु लागा सन्मुख काना सो गुरु हरि हर व्रह्मा समाना | गुरु हमारे हरके जागे अरज करूं सत गुरुके आगे || जोत पाट मैदान रचाया सतसे ल्याया धर्मसे विठाया | कान फूक सर जीवत कीया सो जोगेसर जुग जुग जीया || जो जन करे बालाकी आसा सो पावै शिवपुरिका वास | जपिये भजिये श्रीसुन्दरी बाला आवा गवन मिटे जंजाला || जो फल मांगूँ सो फल होय बाला बीज मंत्र है सोय | गुरु मंत्र संपूरण माला रक्षा करै गुरु गोरख वाला || सेवक आया सरणमें धन्या चरणमें शीष | बालक जान कर कीजिये दयादृष्टि आशीष || गुरु हमारे हरके जागे नीवँ नीवँ नावूँ माथ | वलिहारी गुरुर आपणे जिन दीपक दीना हाथ ||

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