Thursday, 27 February 2025

OM

 ॐ गुरूजी अलख पुरुष ने बांधी काया बेगम डोर से हंसा आया | नाभी कमल से संसार रचाया, ह्रदय कमल से जीव का वासा कुन्ज कमल में निरंजन निराई, त्रिकुट महल में फिरी दुहाई |ॐ गुरूजी शबद के हम शिष्य हैं सोहं हमारा नाम, प्राण हमारा इष्ट है, काया हमारा गाँव |

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