Thursday 27 February 2014

गोरक्षपंचाक्षर जाप


गोरषनाथ लिंवस्वरूपं गउ गो प्रतिपालनं |
अगोचरं गहर गभीरं गकाराइ न्मो न्मो || १ ||
रहतंच निरालंबं अस्थंभं भवनं त्रियं |
राष राष श्रव भूतानं रकाराइ न्मो न्मो || २ ||
षकार इकयिस व्रह्मांडं षेचरं जगद गुरुं |
षेत्रपालं षडग वंसे षकाराइ न्मो न्मो || ३ ||
नाना सास समो दाइ नाना रूप प्रकासितं |
नाद विंद समो जोति नकाराइ न्मो न्मो || ४ ||
थापितं थल संसारं अलेषं अपारं अगोचरं |
थावरे जंगमे सचिवं थकाराइ न्मो न्मो || ५ ||
गकारं ग्यान संयुक्तं रकारं रूप लाछ्नं |
षकारं इकीस व्रह्मंडं नकारं नादि विंदए || ६ ||
थाकारं थानमानयो थिर थापन थर्पनं |
गोरषनाथ अक्षरं मंत्रं श्रवाधाराइ न्मो न्मो || ७ ||
ॐ गों गोराक्षनाथाय विद्महे शून्यपुत्राय धीमहि तन्नो
गोरक्ष निरंजनः प्रचोदयात् | आदेश आदेश शिवगोरक्ष ||
गोरक्षवालं गुरु शिष्यपालं शेषाहिमालं शशिखण्ड भालम |
कालस्यकालं जितजन्मजालं वन्दे जटालं जगदब्ज नालं ||

No comments:

Post a Comment