Monday 24 February 2014

मचिंदर नाथ-तोबी कच्चा बे कच्चा .........

तोबी कच्चा बी कच्चा, नहीं गुरु का बच्चा दुनिया तजकर खाक लगायी,जाकर बैठा बन्मो, खेचरी मुद्रा बज्रासन पर, ध्यान धरत है मनमो..........१ गुप्ता होवे परगट होवे, जावे मथुरा कशी ,प्राण किकले, सिद्ध भय है, सत्य लोग का वाशी...................................२ तीरथ करकर उमर खोई,जोग जुगात्मो साडी, धन ,कमिनिको नज़र न लावे, जोग कमाया भरी...................३ कुण्डलिनी को खूब चढावे ब्रह्मोरंध्रामो जावे, चलता है पानी के ऊपर ,मुख बोले सो होवे..........................४ शत्रोमे कछु रही न बाकि,पुरा ज्ञान कमाया, वेड विधि का मार्ग चलकर,तन का लाकर किया...........................५ कहे मछिंदर सुन रे गोरख,तीनो ऊपर जन, किरपा भाई, जब सद्गुरु जी की, आप आप को चिह्न..................................... सोही सच्चा बे सच्चा, ओही गुरु का बच्चा.............................

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