Monday 24 February 2014

गोरक्षनाथ स्तवनं

आत्मा खलु विश्व मुलं,ॐ क्रुन्वान्तो विश्वमार्यम गोरक्षा बालम,गुरु शिष्य पालम,शेष हिमालम,शशि खंड भालं,,,१ कलाय्स्य कलम,जित जन्म जालं,वंदे जटा लम ,जग्दाब्जा नालं........ गोरक्षनाथ भवरुपा भवभ्दिपोत,भक्तार्तिनाशन विभो करुनैक्मुरते, त्वात्पद पद्मा मकरंद मधु व्रतोहम ,तापं मदीय मनसो हर देव सेः... गोरक्षनाथ मई चेत करुनात वेद्रूक, दिन स्वदिय चरणौ शरणम प्रपद्ये. नश्येंदा वश्य मैथ मन संवेदना में, सिद्धि ब्रजेंनी खिल ब्रह्मा विधिर्ही लोके... गोरक्षनाथ रजसा चरण स्तिथेन पूतन शिरो भवति भक्त जनस्य नूनं ... तवा दर्शन हरति तस्य समस्त चिंता, त्वत सेवनं हरति पापा पिशाच पुज्जम हे नाथ ममापि विलोकय दीनबन्धो संताप तप्त हृदय कृपण क्षनेस्मिन पदनाते शिरसी में वरदात्मा हस्त काम निधेहि गुरूदेओ,भवानुकुलाह दोशाकरोस्मी भाग्वान्न्नुकाम्पनिया निर्दोषता न सुलभा जग्तितालेस्मिन दोशाकरेपी विमल दुति संयुतेपी की लांचन मनुज दृष्टी patha न यती

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