Monday 24 February 2014

शिव गोरक्ष हरे ! जय शिव गोरक्ष हरे

तुम सत चित आनंद सदाशिव आगम -निगम परे योग प्रचारण कारण युग युग गोरख रूप धरे............१ शिव गोरक्ष हरे ! जय शिव गोरक्ष हरे अकाल-सकल-,कुल-अकुल,परापर,अलख निरंजन ए भावः-भव-विभव-पराभव-कारन ,योगी ध्यान धरे..............२शिव गोरक्ष हरे ! जय शिव गोरक्ष हरे अष्ट सिद्धि नव निधि कर जोर लोटत चरण तले भुक्ति मुक्ति सुख सम्पति यती पति सब तब एव करे....................३ शिव गोरक्ष हरे ! जय शिव गोरक्ष हरे कुंडल मंडित गंडा स्थल छवि कुंचित केश धरे सदय नयन स्मरानन युवतन अंग अंग ज्योति जारे.............४ शिव गोरक्ष हरे ! जय शिव गोरक्ष हरे अमर काया अवधूत अयोनिज सुर नर नमन करे तब कृपया पराया परिवेष्टित अधमहू पर तारे.............५ शिव गोरक्ष हरे ! जय शिव गोरक्ष हरे कृष्ण रुक्मिणी परिणय प्रकरण देवन विघ्न करे सुनी रुषी मुनि बिनती तुम प्रकट कंगन बन्ध करे......६ शिव गोरक्ष हरे ! जय शिव गोरक्ष हरे सदगुरु विषम विषय विष मूर्छित तिरिया जल परे जग मछन्दर गोरख आया गा उधर करे.........७ शिव गोरक्ष हरे ! जय शिव गोरक्ष हरे प्रिय वियोग भरतरी विहल विकल मसान फिरे महा मोहतम दयानिधि सिद्धि समृद्ध करे...........८ शिव गोरक्ष हरे ! जय शिव गोरक्ष हरे

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